बचपन
बचपन भगवान द्वारा दिया हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण उपहार है जिसे हमें सीने से लगाकर रखना
चाहिए । क्योंकि इससे हमारी मुलाकात जीवन काल में केवल एक बार ही होती है ।
चाहिए । क्योंकि इससे हमारी मुलाकात जीवन काल में केवल एक बार ही होती है ।
यह एक बहुत ज़रूरी चीज़ है और इसके
बिना कोई भी मनुष्य बड़ा नहीं बन सकता
है , ऐसा हो ही नहीं सकता कि आप बचपन
बिना अनुभव किए ही बड़े बन सकते हो।
भगवान ने सब कुछ सोच समझकर बनाया
है । बचपन मनुष्य के जीवन में ऐसा समय
होता है जब वह सबसे अधिक मज़े लूटता
है क्योंकि उसे कुछ काम नहीं करना है ।
पढ़ाई का बोझ बहुत कम होता है । और
जैसे -जैसे हम बड़े होते जाते हैं वैसे -वैसे बोझ
बढ़ने लगता है और वो भी हर ओर से।
बचपन एक ऐसा समय होता होता जिसमें हमें बहुत कम अनुभव होता हैं और हमने असली दुनिया देखी ही
नहीं होती है। और न ही हम उसे देख पाते हैं क्योंकि हमारा मन सिर्फ खेलकूद और मौज मस्ती के बारे में
सोचता है। और यही सही उम्र होती है क्योंकि आगे जाकर हमें इतना समय मिलेगा ही नहीं और पढ़ाई का बोझ
भी बढ़ता ही है। बचपन हमारे दिमाग में थोड़े समय तक यह सोच बिठा देता है की जीवन बहुत सरल होता है।
परंतु यह सच नहीं है और यह हमें बाद में पता चलता है। बचपन ढंग से बिताना बहुत आवश्यक है। क्योंकि इसी
पर हमारा जीवन निर्भर करता है। कुछ बच्चे अपना बचपन ढंग से नहीं बिता पाते हैं क्योंकि या तो उनके माता-
पिता उन्हें वह आनंद नही उठाने देते या फिर उनके परिवार पर गरीबी छायी होती है। और वह अपने बच्चों
की माँग पूरी नहीं कर पाते हैं। इससे माता- पिता खुश नहीं पाते। क्योंकि वह अपने बच्चों को खुश नहीं पाते हैं।
बचपन अगर ढंग से न बिताया तो बच्चे आत्महत्या भी कर सकते हैं। क्योंकि वह बहुत दुखी होते हैं और कुछ
भी कर सकते हैं क्योंकि क्योंकि वह छोटे और मासूम हैं।
अंत में मैं यह ही कहना चाहूंगी की बड़े होकर एक आदमी अपने बचपन
को कभी नहीं भूल सकता। और उसमें हमेशा थोड़ा सा बचपन तो रहता ही
है।
बिना कोई भी मनुष्य बड़ा नहीं बन सकता
है , ऐसा हो ही नहीं सकता कि आप बचपन
बिना अनुभव किए ही बड़े बन सकते हो।
भगवान ने सब कुछ सोच समझकर बनाया
है । बचपन मनुष्य के जीवन में ऐसा समय
होता है जब वह सबसे अधिक मज़े लूटता
है क्योंकि उसे कुछ काम नहीं करना है ।
पढ़ाई का बोझ बहुत कम होता है । और
जैसे -जैसे हम बड़े होते जाते हैं वैसे -वैसे बोझ
बढ़ने लगता है और वो भी हर ओर से।
बचपन एक ऐसा समय होता होता जिसमें हमें बहुत कम अनुभव होता हैं और हमने असली दुनिया देखी ही
नहीं होती है। और न ही हम उसे देख पाते हैं क्योंकि हमारा मन सिर्फ खेलकूद और मौज मस्ती के बारे में
सोचता है। और यही सही उम्र होती है क्योंकि आगे जाकर हमें इतना समय मिलेगा ही नहीं और पढ़ाई का बोझ
भी बढ़ता ही है। बचपन हमारे दिमाग में थोड़े समय तक यह सोच बिठा देता है की जीवन बहुत सरल होता है।
परंतु यह सच नहीं है और यह हमें बाद में पता चलता है। बचपन ढंग से बिताना बहुत आवश्यक है। क्योंकि इसी
पर हमारा जीवन निर्भर करता है। कुछ बच्चे अपना बचपन ढंग से नहीं बिता पाते हैं क्योंकि या तो उनके माता-
पिता उन्हें वह आनंद नही उठाने देते या फिर उनके परिवार पर गरीबी छायी होती है। और वह अपने बच्चों
की माँग पूरी नहीं कर पाते हैं। इससे माता- पिता खुश नहीं पाते। क्योंकि वह अपने बच्चों को खुश नहीं पाते हैं।
बचपन अगर ढंग से न बिताया तो बच्चे आत्महत्या भी कर सकते हैं। क्योंकि वह बहुत दुखी होते हैं और कुछ
भी कर सकते हैं क्योंकि क्योंकि वह छोटे और मासूम हैं।
अंत में मैं यह ही कहना चाहूंगी की बड़े होकर एक आदमी अपने बचपन
को कभी नहीं भूल सकता। और उसमें हमेशा थोड़ा सा बचपन तो रहता ही
है।
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